अपनी ख़ुशी से अपना ही दिल तोड़ना पड़ा…!!
आंखें बंद थी!
पलकों पर झूल रहे थे ख़्वाब…
होंठों पर मिलने की आस….मुस्कान बन कर महक रही थी!
एक दूजे को याद कर फूले नहीं समां रहे थे हम….
एक लंबा सफ़र जो तय किया था ,इक दूजे के बग़ैर….अब ख़त्म होने को था !
मन्नते सच होने जा रही थी !
दुआएं क़ूबुल होने को थीं !
जो रची नहीं थी अबतक हाथों में वो मेहंदी खिलने लगी थी ज़हन में और सपना वो हक़ीक़त होने को था जब ….वहीं ज़िन्दगी के उसी हसीन मोड़ पर ,ठिठक कर क़दम रोक लिए थे हमनें कि अपनी ख़ुशी से अपने ही दिल तोड़ लिए थे हमनें!
फ़क़त अपना ही ख़याल होता तो कुछ और बात होती!
कुछ और दिन होते ,कुछ और रात होती!