रात….चांद….और मैं Dr. A. Bhagwat
Moon and me कल रात सोचा कुछ लिखूं चांद पर…!!और जब दिखा चांद तो नज़रें न कागज़ पर टिकीं न कलम पर….!!बस ठहर गई आसमां पर….!!कि पूनम के चांद पर…नहीं लिख्हा जाता पूनम पर…..अमावस पर ही बेहतर होगा….. लिखना चांद पर!…..क्योंकि हमारी आँखों का, दिल का और यादों का भी हक़ होता है पूरे चांद …