कारवाँ ए ज़िन्दगी | Dr. A. Bhagwat
मैंने बहुत शिद्दत से जाना है ;जब शामिल नहीं थी मैं “ कारवाँ ए ज़िन्दगी ” में तब भी भाग रही थी ज़िन्दगी; बेख़बर!और शामिल होने से मेरे थमी नहीं थी ज़रा भी कि उसकी रफ़्तार को हमारी गरज़ नहीं होती! ) क्योंकि हमारे शामिल होने न होने से कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ता उसको । हमारे मरने …