गुलमोहर उदास है !…( विश्व पृथ्वी दिवस पर विशेष) भाग – 2
‘हाय-वे’ के किनारे…एक अकेला गुलमोहर ,बस रह गया है!“सड़क चौड़ीकरण” में उसका एक-एक साथी जाता रहा !बस गुलमोहर ही रह गया है अकेला !अफ़सोस है उसे अपने किनारे होने का…यूँ चीखा वो तब भी था जब कट रहे थे उसके हमसाये !-“बख़्श दो इन्हें ! किस बात की सज़ा देते हो??मगर सज़ा ये ‘उसके’ लिए …
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