आस्था और विश्वास | नौ दिन, नौ रातें!! और ज़रूरी नौ बातें!!

aastha or vishwas

बिन आस्था विश्वास के, बस कागज़ के फूल!
न सुगन्ध न कोमलता, जमी रहे बस धूल!

नमस्कार प्यारे दोस्तों,
आप सभी को नौ रात्रियों की हार्दिक शुभकामनाएं!
और इसी बहाने आज हम शुरू कर रहे हैं एक नई शृंखला नौ दिन नौ रातें, और ज़रूरी नौ बातें!
तो आज पहली कड़ी में हम बात कर रहे हैं आस्था और विश्वास की ।


देखने में तो ये महज़ दो शब्द ही हैं परन्तु वास्तविक रूप से ये हमारे जीने का आधार है।
क्योंकि आस्था और विश्वास ही हैं जो अनिवार्य रूप से भर देते हैं हमें सकारात्मक ऊर्जा से भी ! जो न केवल सामान्य परिस्थितियों में बल्कि सर्वथा विपरीत परिस्थितियों में भी थामें रहती है हमें हारने नहीं देती !
क्योंकि ज़िन्दगी हमेशा ही खुशनुमां होकर हमारे पक्ष में नहीं बनी रहती पर अक्सर वो हमें ला खड़ा करती है कई ऐसे मोड़ों पर जहां उलझनें, परेशानियां,दुविधाएं हमारी प्रतीक्षा में होती हैं और तभी हम जान पाते हैं न केवल अपने इर्द गिर्द लोगों और परिस्थितियों को कुछ ज़्यादा गहराई से बल्कि समझने लगते हैं ख़ुद को भी अधिक सच्चाई से !….क्योंकि हम कितने मज़बूत और परिपक्व हैं इसका अंदाज़ा भी तभी लगता है जब सबकुछ सामान्य नहीं रह जाता! आख़िर ऊंट को भी पहाड़ के नीचे आना होता है अपनी असल ऊंचाई जानने के लिए!
और इन्हीं मुश्किल लम्हों में हम रूबरू होते हैं अपने भीतर की उस अद्भुत शक्ति से जो लाख टूटकर भी हमें बिखरने नहीं देती!
क्योंकि एक आवाज़ कहीं भीतर से आती है कि वो दिन नहीं रहे ये दिन भी नहीं रहेंगे!
और सुबह ज़रूर आएगी सुबह का इंतज़ार कर!
और हम सम्भल जाते हैं, गिरते नहीं!


और ग़र गिर भी जाएं तो फ़िर फ़िर उठ खड़े होते हैं! बस इसलिए कि बहुत गहरे भीतर कहीं स्थापित है आस्था हमारी और विश्वास भी….!
जो अत्यावश्यक हैं हर दफ़ा एक नई शुरुआत के लिए भी!
और इसीलिए हम ज़ीरो से हीरो बनते देखते हैं लोगों को! साक्षात मृत्यु के दरवाज़ों से लौटते इंसानों को भी!
क्योंकि आस्था और विश्वास का सम्बंध केवल धर्म, अध्यात्म और कर्मकांड से ही नहीं होता वरन ये हमारे जीवन निर्वाह की दिशा और दशा निर्धारित करने वाले तत्व हैं।
और हमारे जीवन कौशल के महत्वपूर्ण बिंदु भी!
तो आइए और और मज़बूत करें आस्था और विश्वास की डोर को ताकि न केवल स्वयं की पर आवश्यकता पड़ने पर हम प्रस्तुत हो सकें दूसरों की सहायता के लिए भी! और प्रज्वलित कर सकें एक दिया आस्था और विश्वास का उनके दिलों में भी कि जल उठे एक दीपक से कई दीपक आशाओं, उम्मीदों और सुंदर सपनों के! और जलती रहे,बढ़ती रहे जीवन की अखंड ज्योत….है न!
बहुत शुक्रिया…

Day 1 – आस्था और विश्वास
Day 2 – धैर्य और संयम
Day 3 – उत्साह और उमंग
Day 4 – प्रण और संकल्प
Day 5 – क्षमा और शांति
Day 6 – कर्म और समर्पण
Day 7 – भाव और संवाद
Day 8 – सुख और आनंद
Day 9 – शक्ति और सामर्थ्य

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