मन का घड़ा जब भरा हो संयम से!
विश्वास अटूट, अडिग खड़ा हो!
बड़े सपने तो सभी देखते हैं उत्साह से!
क्यों न इस दफ़ा संकल्प भी बड़ा हो!
नमस्कार प्यारे दोस्तों,
आप सभी का बहुत बहुत स्वागत और धन्यवाद मेरे वीडियोज़ को लगातार सुनने,समझने के लिए!
तो आइए करते हैं शुरुआत ।
अक्सर यूं होता है न कि लगभग हर रोज़ ही हमारे मन में जागती हैं कई कई ख़्वाहिशें!
दिल ये अरमानों से भला कब खाली रहता है!
फ़िर ख्वाहिशों के पीछे पीछे उग आते हैं हज़ार हज़ार इरादें भी!
मगर लाख़ चाहने पर भी इरादें टूट टूट जाते हैं!
और अधूरी रह जाती हैं ख़्वाहिशें तमाम!
क्योंकि हम सोचते बहुत हैं पर सोचा हुआ सबकुछ कर नहीं पातें!
क्योंकि ख्वाहिशों,ख़्वाबों और चाहतों के बीच जो सबसे ज़रूरी कड़ी होती है न!
वो अक़्सर ही मिसिंग होती है बस!
आप समझ ही गए होंगे न! मैं किस बारे में बात कर रही हूं!
बिल्कुल सही पहचाना!
जी हां! प्यारे दोस्तों उस संकल्प और प्रण की जिसकी गैर मौज़ूदगी में ख़्वाबों के पंछी उड़ तो लेते हैं पर नहीं भर पातें बेहद ऊंची उड़ानें…कि आसमानी ख़्वाबों को गरज़ होती हैं बेहद ऊंची परवाज़ों की!
ये और बात है कि दुनिया की आंखें बस चमचमाती रोशनी से ही चौंधियाती हैं! और हर सफल इंसान को बस खुशनसीब ही मान लिया जाता है! बग़ैर जानें कि कितनी सियाह रातों का सफ़र तय हुआ होगा! तब कहीं किसी के आगे सवेरा हुआ होगा!
हिम्मत भी टूटी होगी और हौसलें भी पस्त हुए होंगे! पर उनके दृढ़ संकल्पों ने थाम लिया होगा उन्हें! हार कर गिरने नहीं दिया होगा!
पर कितनी आसान लगती हैं हमें औरों की सफलताएं! मुसीबत में और परेशानियों में तो बस एक ख़ुद ही को देख पाते हैं हम!
जबकि ध्यान दें तो समझ पाएंगे हम भी कि दरअसल दूसरों की ही हैं! बस इसलिए छोटी या कम नहीं हो जाती चुनौतियां!
मसलें उनके भी कम नहीं होते जो सारे जहां में मुस्कुराकर घूम रहे होते हैं!
और हम अपनी नाकामियों के आगे सहुलतों का रोना रो रहे होते हैं!
पर अब जो जान लिया है तो चलिए मान भी लेते हैं! और कर लेते हैं प्रण,संकल्प कि छोटे हों या बड़े, आसान हो या दुश्वार हमारे सभी सपनें,ख़्वाहिशें,चाहतें और अरमान हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं! और हम ठान लें ग़र तभी तमाम अड़चनों से परे, उन्हें पा कर ही दम लेंगे ! और संकल्प की शक्ति को आज़मा कर ही रहेंगे….हैं न!
बहुत शुक्रिया…