सुखी निर्विघ्न जीवन की हम लाख़ रखें महत्वाकांक्षा!
पर बिन क्षमा के सम्भव नहीं शांति की आकांक्षा!
नमस्कार प्यारे दोस्तों,
एक बार पुनः स्वागत आप सभी का!
आस्था ,विश्वास,धैर्य,संयम,उत्साह,उमंग और दृढ़ संकल्प के बाद आज हम पहुंच चुके हैं नौ दिन नौ रातें और ज़रूरी नौ बातों के पांचवे पायदान पर! जहां बात होगी शांति और क्षमा की! जिसके बग़ैर हम सुखों की कल्पना भी नहीं कर सकते!
हम जो हमेशा सुख और शांति की कामना करते हैं क्या कभी ये समझ भी पाएंगे! कि यदि सुख न हो तब भी शांति ,सुक़ून और सब्र के साथ गुज़ारा मुमकिन है! मगर शांति ही न हो तो फ़िर हज़ारों सुखों का भी कोई अर्थ शेष नहीं रह जाता जीवन में!
तो अब प्रश्न यही है कि भला कैसे बनाए रख्खें शांति जीवन में ? सबसे आसान और कारगर उपाय तो यही है कि हम क्षमा मांगते भी रहें और क्षमा करते भी रहें! क्योंकि हम सभी से आए दिन होती रहती हैं गलतियां!
और फ़िर आत्मग्लानि और पश्चाताप के चलते ठहर कर सहम जाते हैं हम! और क्योंकि हमारा ईगो हमारा अंहकार हमें माफ़ी मांगने से रोकता है ! और हम किसी बात ,घटना या परिस्थितियों से आगे बढ़ ही नहीं पाते! और लोगों,बातों,घटनाओं एवं परिस्थितियों पर ही अटके रहने से, रुक, थम कर सड़ने लगते हैं हम ये सत्य भूल कर कि आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी होता है पिछला बहुत कुछ भूलना! और माफ़ किए बग़ैर और माफ़ी मिले बग़ैर कैसे आगे बढ़ेंगे हम!!!
और धीरे धीरे ही सही परन्तु जब समझने लगते हैं हम और सीखने भी लगते हैं ये हुनर; क्षमा मांगने और करने का तभी जान पाते हैं ये भी कि दरअसल माफ़ी मांग कर और माफ़ कर नहीं करते हम एहसान किसी पर! हाँ! मगर हर दफ़ा क्षमा मांग कर और क्षमा करके किसी और को, हम स्वयं पर ही बहुत बड़ा उपकार करते हैं! और एक प्रकार के बोझ से मुक्त अनुभव करते हुए हल्का महसूस करने लगते हैं !
तो आइए क्यों न क्षमा कर दें हम उन्हें, जिनसे गलतियां हुई हैं! ताकि मांग सके हम उनसे भी क्षमा, जिनसे मांगी नहीं है अब तक!
तो प्यारे दोस्तों, साथियों,
अब मैं भी माफ़ी चाहती हूं आप सभी से! बहुत सारा वक़्त लेने के लिए!
इसी उम्मीद के साथ कि आप ज़रूर क्षमा करेंगे मुझे….हैं न!
बहुत शुक्रिया…