कर्म और समर्पण | नौ दिन, नौ रातें!! और ज़रूरी नौ बातें!!

कर्म और समर्पण

बिन समर्पण भाव के, कर्म न हो साकार!
पुष्प तो हर दिन खिलें, सुरभित न हो बयार!

स्वागत प्यारे दोस्तों,साथियों,
लगातार साथ बने रहने के लिए!

आपने कभी सोचा है प्यारे दोस्तों कि सुबह होते ही कितने सारे काम होते हैं न करने के लिए! यहां तक कि रात को सोने से पहले भी एक लंबी फेहरिस्त होती है हमारे ज़हन में कि ये – ये काम कल निपटाने हैं!
ये दुनिया चल ही इसलिए रही है कि कुछ न कुछ चल रहा है हर कहीं! सबकुछ थम नहीं गया!
हम सभी के पास अपने अपने काम हैं!
हालांकि चाहते तो हम सभी हैं कि हमारे सारे ही काम बेहतरीन हों!
पर वास्तव में ऐसा होता नहीं है!

क्योंकि देखिए न हर साल हज़ारों, लाखों डॉक्टर्स बनते हैं! इंजीनियर्स बनते हैं! आईएएस, आईपीएस, प्रोफेसर्स, वकील, एक्टर्स, सिंगर्स, स्पोर्ट्समैन !!
मगर गौर फ़रमाए तो उनमें से बस कुछ ही बेहतरीन होते हैं ! बाक़ी सारे ही बस औसत दर्जे के बन कर रह जाते हैं….!!

क्योंकि काम तो सभी करते हैं मगर समर्पित होकर नहीं! इसीलिए उनके काम में वो दम नहीं होता कि लोग उन्हें उनके काम से जानें!
सोचिए तो कितने कम शिक्षक होते हैं जिन्हें हम आजीवन याद रख पाते हैं! कितने कम डॉक्टर्स होते हैं जो हमारे लिए भगवान बन पाते हैं!

क्योंकि बहुत कम लोग जानते हैं कि काम कुछ भी हो पर उसे करने का हमारा ख़ास अंदाज़ ही उसमें चार चांद लगाता है! 
क्यों कोई व्यंजन इतना स्वादिष्ट बन पड़ता है जब कोई अपना किसी अपने के लिए बनाता है ! ज़रूर वहां उसका प्यार भी होता है साथ ही उसका गहरा समर्पण भी!

फ़िर कोई भी काम सिरफ़ काम नहीं रह जाता!
बल्कि आनंद का विषय बन जाता है! जब वो समर्पित भाव से किया जाता है!
और इसीलिए तो किसी गायक को घण्टों के रियाज़ थकाते नहीं! किसी बिज़नेसमैन को ओवरटाइम उबाऊ नहीं लगता कभी! यहां तक कि एक नन्हें से बच्चे की निश्छल मुस्कुराहट में झांकना कभी !  कि ज़िंदगी कैसे उसके लिए सिर्फ़ एक खूबसूरत खेल भर होती है ! लगातार-लगातार बस जीते चले जाने के लिए!

और यदि हम नहीं जी पा रहे हैं अपनी ज़िन्दगी को पूरी शिद्दत से!
मज़ा नहीं आ रहा है अपने काम में!

मन नहीं करता कुछ करने को…..तो उस स्पेशल इन्ग्रेडियेन्ट् को शामिल कीजिए न !! ज़िन्दगी का ज़ायका बदलने वाला ये खासम ख़ास इन्ग्रेडियेन्ट् जो बस आपके दिल आपकी आत्मा में ही उपलब्ध है! बस एक दफ़ा उसका इस्तेमाल तो करके देखिए!  

‘समर्पण’  नाम का ये बेजोड़ तत्व जब जुड़ जाता है जीवन से तो जीवन को नित नए आयाम पर पहुंचाता रहता है! और फिर सम्भव नहीं रह जाता हमारे जीवन का असफल,बेस्वाद और अधूरा रह जाना!….है न!

बहुत शुक्रिया….

Day 1 – आस्था और विश्वास
Day 2 – धैर्य और संयम
Day 3 – उत्साह और उमंग
Day 4 – प्रण और संकल्प
Day 5 – क्षमा और शांति
Day 6 – कर्म और समर्पण
Day 7 – भाव और संवाद
Day 8 – सुख और आनंद
Day 9 – शक्ति और सामर्थ्य

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