तो क्या हुआ कि तुमने खींच ली मेरे पैरों तले की ज़मीन…..मुझे आज भी मेरे आसमां ने थामें रख्हा है!!

तो क्या हुआ कि तुमने खींच ली मेरे पैरों तले की ज़मीन…..मुझे आज भी मेरे आसमां ने थामें रख्हा है!!

जी हाँ, प्यारे दोस्तों स्वागत है आप सभी का आपके अपने यूट्यूब चैनल लाइफेरिया के इस मंच पर जहां आज फिर हम मिल रहे हैं एक नए विषय के साथ, जैसा कि पिछले वीडियो में हमने बात की थी हमारे अपने जज़्बों की,हौसलों की,इरादों की, क्षमताओं की,और लाख़ लाख़ गिर कर भी फ़िर फ़िर सम्भलने के अपने हुनर की!……..पर ग़ौर तलब तो ये है प्यारे दोस्तों कि हम मेंसे हर वो शख्स जो बेहद ख़ुश, खिलखिलाता हुआ या हँसमुख और बड़े मज़े में दिखाई देता है! क्या वाक़ई में उसका जीवन बेहद हसीन और खुशनुमां होता है!
क्या वो इतना खुशनसीब होता है कि उसने जीवन में कभी कोई दुःख या धोखा देखा ही नहीं होता ? क्या उसके सभी अपने ,दोस्त,रिश्तेदार,पड़ोसी,सहकर्मी ,पार्टनर्स ,सुपीरियर्स ,सारे की सारे एकदम आदर्शरूप से ईमानदार,वफ़ादार, समर्पित और शुभचिंतक ही होते हैं? नहीं न !
ये हर्गिज़ हर्गिज़ मुमकिन नहीं!
हम मेंसे हर किसी के जीवन में कमसकम कोई एक तो ऐसा होता ही है जो मुंह पर लाख मीठा बोलकर भी, मन ही मन हमारा बुरा सोच रहा होता है! षड्यंत्र कर रहा होता है! फ़िर इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि हमनें जीवन में कभी भी उसका कुछ भी बिगाड़ा हो या न हो !
कोई ऐसा जो हमको ख़ुद का सबसे बड़ा शत्रु मानकर हर वक़्त हमारे ख़िलाफ़ साज़िशों में डूबा रहता है! उसकी हर सुबह शाम बस इसी सोच में डूबी रहती है कि कब डूबेगा हमारे सुखों का सूरज …!!
और इसीलिए हम सभी के जीवन में वो एक न एक दिन ज़रूर आ धमकता है जब हम शिकार हो जाते हैं विश्वासघात के!…..जब पैरों तले सरक जाती है ज़मीन! और हम बर्बाद हो जाते हैं! कभी सामाजिक रूप से,कभी आर्थिक रूप से और अक़्सर भावनात्मक रूप से एकदम दिवालिया हो जाते हैं!
कुछ सुझाई नहीं देता….. धोखा ज़रूर कोई एक देता है पर हमें नफ़रत सभी से, यहाँ तक कि ख़ुद से भी होने लगती है! आख़िर हमनें उसपर विश्वास ही क्यों किया! धोखे के साथ दुखद ये है कि अक्सर ये वहाँ से मिलता है जहाँ से अपेक्षित न हो! क्योंकि ख़ंजर भी उसी का आर पार होता है जो कम्बख़्त दिल के बेहद क़रीब होता है!
और प्यारे दोस्तों, जब कभी ये होता है या होगा हमारे साथ! तो क्या करेंगे हम? क्या करना चाहिए हमें? भूल कर उन्हें जो हमारे अपने हैं और जिन्होंने इस मुश्किल घड़ी में भी नहीं छोड़ा है साथ हमारा! क्या टूट जाना चाहिए हमें? टूट कर बिखर कर,ख़त्म हो जाना चाहिए? नहीं न ! बल्कि यही वो नाजुक वक़्त है जब पलट कर देखना होगा हमें फिर ज़िन्दगी की ओर ……कि धोखा हमसे हुआ है हमने नहीं किया इस बात के लिए शुक्रगुज़ार रहते हुए हम ख़ुद ही टूटकर किसी दुश्मन को जीतने नहीं देंगे! बल्कि जिस ने गिराया है हमें! फ़िर फ़िर उठकर हम इतना ऊंचा करेंगे क़द अपना कि कब वो बौने हो जाएंगे न उन्हें ख़बर होगी न हमें! ये कहते हुए ही बढ़ जाएंगे हम आगे…… कि क्या हुआ कि तुमने खींच ली मेरे पैरों तले की ज़मीन…..मुझे आज भी मेरे आसमां ने थामें रख्हा है…..है न!
बहुत शुक्रिया…

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