लॉक डाउन और ज़िंदगी….. {Lockdown And Life}
अब एक महीना गुज़र चुका है…. लॉक डाउन हुए ! और कुछ सोच रही थी मैं …..तभी…. एक नन्हीं प्यारी सी तितली न जाने कहाँ से आकर …बस बैठी और उड़ भी गई फ़ूल से……मेरे सोचने से पहले ही…सम्भवतः मैं कुछ लिखती उस पर ….पर इससे क्या फ़र्क पड़ता उसे !!!!!
निश्चित ही जो कुछ हुआ या हो रहा है औरआगे होगा उसमें मेरे या फिर किसी और के सोचने या न सोचने से कोई भी फ़र्क नहीं पड़ने वाला है ।
ये हमारे जीवन की विडम्बना ही है कि अक्सर हम जो सोचना चाहिए वो छोड़कर , ऐसा कुुुछ सोचने लगते हैं जिसकी कोई आवश्यकता ही नहीं होती।
अग़र मैं पूछूँ अपने आप से कि आज दिन भर में कौन सा सबसे महत्वपूर्ण काम किया मैंने …..तो सम्भवतः सही जवाब भी न दे पाऊँ मैं ! क्योंकि केवल मेरे सोचने भर से कोई काम महत्वपूर्ण नहीं हो जाता और मेरे न सोचने से उसका महत्व घटता हो ऐसा भी नहीं । पर जब ग़ौर किया तो जाना कि जो सबसे महत्वपूर्ण , अद्भुत हुआ आज सुबह सेवेरे…. वो ये कि आज भी मैं हर रोज़ की तरह सुबह जागी…. उन हज़ारों लोगों से अलग जो आज की सुबह देख ही नहीं पाए । उनकी आँखें खुली ही नहीं …..जब कि रात को सोते वक़्त उनमें से किसी ने भी ऐसा नहीं सोचा होगा ।
हमारी लगातार चलती रहने वाली नब्ज़ , निरन्तर आने जाने वाली सांसें , और बग़ैर रुके धड़कते रहने वाले दिल……..और हमेशा ,हरदम साथ बनी रहने वाली ज़िन्दगी से ….आख़िर कितना वास्ता है हमारा ?
दरअसल ये इंसानी फ़ितरत है कि हम तब तक किसी भी बात की परवाह नहीं करते जब तक कि हमें उसके लगातार बने रहने में सन्देह न हो । अर्थात ऐसी तमाम चीज़े जिनके खो जाने या चोरी हो जाने का भय हो ऐसी कीमती वस्तुओं को हम छुपा कर रखते हैं संभाल कर रखते हैं पर जो सबसे कीमती है अर्थात हमारे अपने जीवन को हम कितना संभाल पाते हैं कितनाा सहेज पाते हैं आम तौर पर हम अपने ही जीवन के बारेे मे बहुत कम जानतेेे हैं , बहुत कम सोचते हैं
यहां ग़ौरतलब है कि हमें विचारणीय बातों पर सदैव समय रहते ही विचार कर लेना चाहिए । क्योंकि सही समय गुज़र जाने पर किए जाने वाले विचार हमारी ऊर्जा और समय दोनों ही को व्यर्थ करते हैं ।
और इसलिए ,इससे पहले कि हम भूल जाएं जीवन के महत्व को , उसकी ख़ूबसूरती से बेरुख़ी कर ले, क्यों न हर सुबह, हर क्षण, हर सांस की क़दर कर लें…चूम लें ज़िन्दगी का माथा …..और हर लम्हें में ज़िन्दगी जीने का जश्न कर लें ,कि बस हमारा ज़िंदा होना ही काफ़ी है ज़िन्दगी को भरपूर जी लेने के लिए …..है न!
शुभेच्छु –
Dr.A. Bhagwat
Founder at LIFEARIA