Moon and me
कल रात सोचा कुछ लिखूं चांद पर…!!
और जब दिखा चांद तो नज़रें न कागज़ पर टिकीं न कलम पर….!!
बस ठहर गई आसमां पर….!!
कि पूनम के चांद पर…नहीं लिख्हा जाता पूनम पर…..अमावस पर ही बेहतर होगा….. लिखना चांद पर!…..
क्योंकि हमारी आँखों का, दिल का और यादों का भी हक़ होता है पूरे चांद पर….!
चांद पूरा हो तो और सबकुछ अधूरा होता है…… आसमाँ पर….!!
नज़रें चांद पर और ख़्वाब आसमां पर…!!
ज्यूँ ख़्वाहिशें दिल में….. और यक़ीन ख़ुदा पर!!
है न !