सोचने वाली बात 09 | प्रेम, अपनापन और आपसी समझ!

प्रेम, अपनापन और आपसी समझ!

नमस्कार प्यारे दोस्तों,
बहुत बहुत स्वागत है आप सभी का आपके अपने यूट्यूब चैनल लाइफेरिया के इस मंच पर जहां आज हम मिल रहे हैं बड़े ही दिनों के बाद!
मग़र मैं बता दूं कि मैं दुःखी नहीं हूं अहं!!
क्योंकि पता है मुझे क्या लगता है कि ….हमारे रिश्तों में भी न बस यहीं से…..इसी एक बात से गड़बड़ शुरू हो जाती है जब हम एक दूसरे से लम्बें समय तक मिलते नहीं! …….या यूँ कहूँ कि मिल नहीं पाते!!
या बात नहीं कर पाते!!
फ़ोन नहीं कर पाते!!
यहाँ तक कि मैसेज भी नहीं कर पाते!!
और रिश्तें हमारे वैसे नहीं रहते फ़िर…. जैसे तब हुआ करते थे जब हम रेग्युलरली एक दूसरे के सम्पर्क में रह पाते थे!!
जबकि मैंने एक बात बड़ी ही शिद्दत से महसूस की! कि कल न! बड़े ही दिनों के बाद मैं अपनी छत पर गुज़ार पाई कुछ वक़्त!!
और मैंने देखा कि आसमाँ बिल्कुल वैसे ही मिला मुझसे जैसे हमेशा मिला करता है!!
छत पर रह रहे पौधों मेंसे किसी ने भी नहीं फुलाया मुँह अपना! नाराज़ नहीं हुआ कोई मुझसे!
देखना जब जा पाओ आप समंदर किनारें….!
या पहाड़ों पर कहीं!
या सालों बाद पहुंचो गांव अपने!
तो वो बिल्कुल अपनी ही तरह मिलेंगे आपसे!
प्रकृति कभी आपसे शिकायत नहीं करेगी!
चुभते लहज़े में नहीं पूछा जाएगा कोई सवाल आपसे….कि भई! कहाँ ग़ायब रहे इतने दिनों! कोई खोज ख़बर ही नहीं!
मानों वे जानते हों कि हो जाता है! बहुत मुमकिन है कि हम व्यस्त हो जाएं! या उलझ जाएं कुछ इस तरह कि हमें हमारी ही ख़बर न हो!
पर प्रकृति स्वीकारती है हमें हर दफ़ा…ठीक वैसे ही, जैसे हम हैं! ना कि वैसे जैसा हमसे अपेक्षित है कि हमें होना चाहिए!

पर सोचने वाली बात है न कि यदि हमारे पास है कोई एक भी ऐसा खूबसूरत रिश्ता जो सालों साल बना रहा बिल्कुल एक सा….कोई एक भी ऐसा जो हमें हमारी तमाम परिस्थितियों के साथ बड़ी ही सहजता से स्वीकार सके!
और मिले जब भी मुमकिन हो…तो अपनी अपेक्षाओं को ताक पर रखते हुए मुस्कुरा कर बरक़रार रख सके आत्मीयता, अपनापन,प्रेम और आपसी समझ…….!! तो यदि है आपकी ज़िंदगी में शामिल ऐसा कोई….तो यक़ीन जानिए कि आपसे
ज़्यादा ख़ुशनसीब और कोई नहीं! प्लीज़ क़दर कीजिए उसकी! सम्भाले रखिए उसे….एक उसकी मौज़ूदगी ही काफ़ी है इस छोटी सी ज़िंदगी को गुज़ारने के लिए….है न!
बहुत शुक्रिया!
Dr.A Bhagwat

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