hindi kavita poem tum panchi

कविता : तुम पंछी मैं शाख़

पेड़ों  पर ही उग आए थे हम – तुम प्यार की  बारिश में भीगे – भीगे मुहब्बतों की खुशबुओं से महके – महके फिर  हालातों की  आँधियों से लड़े थे संग – संग  ये  बात और है कि पकते – पकते  उग आए थे  पँख  भी तुम्हारे  और पूरी तरह पकने से पहले ही नाप ली थी तुमने ऊँचाइयाँ  आकाश की और …

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