सोचने वाली बात 09 | प्रेम, अपनापन और आपसी समझ!
सोचने वाली बात है न कि यदि हमारे पास है कोई एक भी ऐसा खूबसूरत रिश्ता जो सालों साल बना रहा बिल्कुल एक सा….कोई एक भी ऐसा जो हमें हमारी तमाम परिस्थितियों के साथ बड़ी ही सहजता से स्वीकार सके!
सोचने वाली बात है न कि यदि हमारे पास है कोई एक भी ऐसा खूबसूरत रिश्ता जो सालों साल बना रहा बिल्कुल एक सा….कोई एक भी ऐसा जो हमें हमारी तमाम परिस्थितियों के साथ बड़ी ही सहजता से स्वीकार सके!
How does a Relationship break? नमस्कार प्यारे दोस्तों,स्वागत है आप सभी का आपके अपने यूट्यूब चैनल लाइफेरिया के इस मंच पर जहां आज हम जवाब दे रहे हैं श्री प्रदीप सुथार जी के प्रश्न का जिसमे उन्होंने पूछा है एक सवाल कि “भला कैसे टूट जाते हैं हमारे रिश्ते?” पर उससे पहले आप सभी का …
भले ही गांठ बांध कर शुरू किए जाते हों रिश्तें! मगर वास्तव में रिश्तों की कोई गांठ नहीं हुआ करती! जिसे खोल कर आज़ाद हुआ जा सके और चुपके से दोबारा बांध कर फिर बन्ध जाया जा सके!!क्योंकि रिश्तों में तो दरअसल गांठ की कोई गुंजाइश ही नहीं होती!!इसीलिए सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी की …
लाख़ मिलाले कोई दुश्मन, मीठी बातों में ज़हर ! पर बग़ल में छुपी छुरी आख़िर नज़र आ ही जाती है! जी हाँ, प्यारे दोस्तों स्वागत है आप सभी का आपके अपने यूट्यूब चैनल लाइफेरिया के इस मंच पर जहां आज फिर हम मिल रहे हैं एक बेहद रोचक विषय के साथ….पर उससे पहले आप सभी …
लाख़ मिलाले कोई दुश्मन, मीठी बातों में ज़हर ! पर बग़ल में छुपी छुरी आख़िर नज़र आ ही जाती है! Read More »
तुम्हें खोने की हिम्मत नहीं है मुझमें, फ़िर भला तुम्हें पाने की ज़ुर्रत क्यों करूँ! जानते हो? हर दफ़ा तुम्हें पा लेने के मेरे ख़्वाब, बस तुम्हें खो देने के डर से ही टूटे हैं!तो अब पूरी शिद्दत से चाहती हूं मैं, बरक़रार रखना अपने दिल में तुम्हारी चाहत को ,तुम्हें पाने की कोशिश के …
तुम्हें खोने की हिम्मत नहीं है मुझमें, फ़िर भला तुम्हें पाने की ज़ुर्रत क्यों करूँ! Read More »
जब कभी दो लोग सोचने लगें सिर्फ़ एक दूजे के बारे में…. तो उन्हें ख़ुद के बारे में सोचने की कोई गरज़ ही नहीं बचती…अहं !! जीने की आरज़ू, मरने के डर से बड़ी हो गई !! तभी तो वो बगैर डरे, बाजू में खड़ी हो गई !! किया होता तो छोड़ भी देती तुम्हें …
पहचानों आलिंगन को !उसे ही तो महसूस किया था हमने पहले पहल….जब पाया था ख़ुद को अपनी माँ की बाहों में !फ़िर कितने ख़ुश हुए थे हम , जब बाबा ने भरा था बाहों में….. पहली दफ़ा ! और याद करें कि रक्षाबंधन पर सरप्राइज़ विज़िट पर कितने स्नेह से आलिंगनबद्ध हुए थे हम अपनी प्यारी …
मैं तुम्हारी मुहब्बत में हूँ , पता है …… ?तुम्हारे इश्क़ में दिवानी – दिवानी !!तो क्या हुआ कि तुम नज़रे इनायत भी नहीं करती हो मेरी जानिब ; मगर मैं फिर भी तुम पर मरती हूँ !कभी मन करता है कि कॉलर पकड़कर पुछूँ तुमसे …. क्यूँ इतना इतराती हो भई …