सोचने वाली बात 04 : दिल पर ले ले यार… और दिमाग पर भी
पंछी को क्या पता कि कौन शिकारी घात लगाए बैठा है…कल मिला था जो दाना पानी वो आज नसीब भी होगा या नहीं !!पर इस एक ख़याल से ही वो रद्द नहीं कर देता उड़ानें अपनी ! कि उसको यक़ीन है अपने पंखों से कहीं ज़्यादा अपनी परवाज़ों पर, अपने फैसलों पर, अपने हौसलों पर …
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